भूकंप के डर से हो रहे बीमार
पटना। बड़ी में जिंदगियों को निगलने के बाद भूकंप के झटकों ने बिहार और नेपाल के लोगों में भूकंप का एक फोबिया यानी डर पैदा कर दिया है, जिसके कारण उनमें कई तरह की चिकित्सीय विसंगतियां देखने को मिल रही हैं। यह जानकारी नेपाल में राहत कार्यों में सहयोग देने के लिए गए डॉक्टरों ने दी है। नेपाल में 25 अप्रैल को आए भीषण भूकंप के बाद राहत कार्यों के लिए एम्स पटना से एक दल वहां गया था। 8,000 से ज्यादा लोगों की जान ले लेने वाले इस भूकंप से प्रभावित नेपाल और सीमावर्ती बिहार के इलाकों के लोगों पर इन डॉक्टरों ने एक अध्ययन किया है, जो कहता है कि कम से कम 40 प्रतिशत लोग चक्कर आने, उल्टी आने, सिर दर्द और डर की समस्याओं से जूझ रहे हैं। हिमालयी देश में जाने वाले 22 सदस्यीय दल की अध्यक्षता करने वाले एम्स पटना के निदेशक जी के सिंह ने पीटीआई भाषा को बताया, केस रिपोर्ट दिखाती है कि भूकंप के डर के कारण पैदा हुई चिकित्सकीय विसंगतियां एक बड़ी समस्या बनकर सामने आई हैं और इनसे निपटा जाना जरूरी है। चिकित्सीय रूप से चक्कर आने का अर्थ इंसान को चकराने का अनुभव होना है। इसमें लोगों को लगता है कि उनके आसपास की दुनिया घूम रही है। यह अक्सर कान के अंदर कोई समस्या होने से होता है।
पटना के गार्डिनर रोड अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि भूकंप के दौरान शरीर व्याकुल हो जाता है और कुछ समय बाद शांत हो जाता है। लेकिन कान के अंदर का द्रव उसी अवस्था में रहता है, जिसके कारण चक्कर आते हैं। एम्स के निदेशक ने कहा कि वह 25 अप्रैल को आए भीषण भूकंप के बाद नेपाल के नोबल मेडिकल कॉलेज के अनुरोध पर वहां मदद उपलब्ध करवाने गए थे। उन्होंने हिमालयी देश के लोगों और बिहार के सीमावर्ती इलाकों के लोगों को मदद उपलब्ध करवाने के दौरान यह अध्ययन किया। उन्होंने कहा कि नेपाल और सीमा से सटे बिहार के विराटनगर एवं मालगांव में रहने वाले लोगों पर पड़े भूकंप के प्रभाव के अध्ययन के बाद उन्होंने एक नए शब्द पाइन्स (पोस्ट नेपाल इंडिया अर्थक्वेक सिंड्रोम) को गढ़ा है। सिंह ने कहा कि भूकंप के डर के कारण पैदा हुई इन चिकित्सकीय एवं मनोविज्ञान संबंधी विसंगतियों ने एम्स पटना के डॉक्टरों और विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है। डॉक्टर सिन्हा ने कहा कि समस्या की व्यापकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पटना के गार्डिनर रोड अस्पताल के ओपीडी में रोजाना आने वाले करीब 60 मरीजों में से लगभग 40 प्रतिशत लोगों को चक्कर आने की समस्या है। अस्पताल के अधीक्षक ने कहा कि भूकंप के डर से सबसे बुरा असर मधुमेह के रोगियों पर पड़ा है और उनमें रक्त शर्करा का स्तर खतरनाक ढंग से बढ़ रहा है।
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