डबल गेम न खेले लालू, जो सीएम बनाएगा, उसे ही समर्थन
राजेश कुमार ओझा. पटना
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने दो टूक शब्दों में कहा है कि उनके लिए राजद, कांग्रेस और बीजेपी सब बराबर हैं। मांझी ने कहा, गठबंधन पर मेरी हर किसी से बात चल रही है। मेरी मात्र एक शर्त है, जो मुझे मुख्यमंत्री बनाने का भरोसा देगा। हम उसे अपना समर्थन देंगे, लेकिन इससे कम पर हम कोई समझौता नहीं करने वाले हैं। गुरुवार रात मांझी ने अपने सरकारी आवास 1, अण्णे मार्ग पर बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने यह बातें कहीं। राजद नेता लालू यादव ने गुरुवार को कहा था कि मांझी को बीजेपी विरोधी उनके मोर्चे में शामिल होना चाहिए।
लालू प्रसाद के प्रस्ताव को ठुकराते हुए मांझी ने कहा, मैं जनता परिवार का सदस्य नहीं बनने वाला हूं। लालू नीतीश का जब तक साथ नहीं छोड़ते हैं, तब तक हम दोनों एक साथ नहीं हो सकते। मांझी ने कहा, लालू प्रसाद डबल गेम नहीं खेलें। वे पहले अपना स्टैंड क्लियर करें। लालू पहले यह तय करें कि नीतीश कुमार के साथ रहेंगे या फिर मांझी के साथ। फिर हम बात करेंगे। पहले लालू प्रसाद अपना स्टैंड साफ करें। जब मांझी से पूछा गया कि लालू नीतीश का साथ छोड़ दें तब क्या वे उनका समर्थन करेंगे तो उन्होंने कहा, हां तब बात करेंगे, लेकिन अपनी शर्तों पर। मेरी शर्त होगी कि लालू मुझे अपना मुख्यमंत्री का प्रत्याशी घोषित कर चुनाव मैदान में चलें। फिर हम उसके साथ रहेंगे।
सीएम की कुर्सी से मोह नहीं
मांझी ने कहा, ऐसा नहीं है कि मुझे सीएम के पद से कोई मोह है। मेरी ओर से लिए गए 34 फैसलों को लागू करना, यहां की जनता के लिए जरूरी है। इस कारण मैं सीएम बनना चाहता हूं। सीएम बनकर यह फिर से लागू कर सका तो मुझे खुशी होगी। ऐसा नहीं कर सका तो जो इसे पूरा करेगा मैं उसे भी समर्थन दूंगा।
मांझी ने कहा, मैं पप्पू यादव का साथ नहीं छोड़ूंगा। ऐसे भी लालू प्रसाद की ओर से ऐसा कोई बयान नहीं आया है। ऐसी कोई शर्त राजद की ओर से रखी जाती है तो फिर हम उस पर विचार करेंगे।
कांग्रेस से गठबंधन को लेकर बिहार के पूर्व सीएम ने कहा, नहीं, अभी किसी के साथ कुछ फाइनल नहीं हुआ है। जब तक फाइनल नहीं होता हम कुछ नहीं कह सकते।
यह पूछे जाने पर कि चर्चा है कि कांग्रेस ने मांझी के प्रस्ताव पर सकरात्मक रुख दिखाया है, लेकिन उसकी ओर से भी कुछ शर्त रखी गई है तो मांझी ने कहा, इस मामले पर फिलहाल कोई चर्चा नहीं करेंगे। समय आने पर सब पता चल जाएगा। मेरी सकरात्मक बात चल रही है।
नीतीश के साथ अपने संबंधों को लेकर मांझी ने बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा, मेरी ओर से कोई चूक नहीं हुई। वे जो चाह रहे थे वो सब हो रहा था। डीजीपी और मुख्य सचिव पहले उनके पास जाते थे, फिर मेरे पास आते थे। मेरी कम उनकी बात ज्यादा मानते थे। मुख्यमंत्री मैं था, लेकिन चलती थी नीतीश कुमार की। वे जो चाह रहे थे वह सब उन्हें मेरी ओर से दिया जा रहा था। एक बार वे अपनी ओर से कह देते तो मैं इस्तीफा दे देता, लेकिन उनकी ओर से ऐसी पहल नहीं की गई और फिर दोस्ती में दरार बढ़ती चली गई। हद तो तब हो गई जब उन्होंने कुंठा से मेरे 34 फैसलों को बदल दिया। from dainikbhaskar.com
Related News
25 से 30 सांसदों की लालच में कांग्रेस ने लालू को अपना संगठन बेचा : प्रशांत किशोर
संवाददाता, मधुबनी : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस और भाजपा पर निशाना साधाRead More
जाति आधारित गणना के गर्भ से निकली थी महागठबंधन सरकार
अब सर्वे रिपोर्ट बताएगी उसकी ताकत —- वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ पत्रकार —- प्रदेश में जातिRead More
Comments are Closed