कवि रामधारी सिंह दिनकर के जरिए भाजपा का भूमिहार प्रेम
पटना। बिहार में बीजेपी के इस कदम से विधानसभा चुनाव को देखते हुए भूमिहार जाति को साधने में मदद मिल सकती है। बिहार में सवर्ण बीजेपी को वोट करते हैं और सवर्णों में भूमिहार जाति का प्रभुत्व बिहार में सबसे ज्यादा है। बीजेपी बिहार में हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि रामधारी सिंह दिनकर की दो अहम रचनाओं के 50 साल पूरे होने पर कई कार्यक्रमों का आयोजन करने जा रही है। दिनकर की रचना संस्कृति के चार अध्याय और पशुर्राम की प्रतीक्षा का बीजेपी ने स्वर्ण जयंती मनाने की घोषणा की है। बिहार में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीपी ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रकवि दिनकर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए। ठाकुर ने कहा कि जल्द ही आरएसएस के साप्ताहिक मुखपत्र पांचजन्य दिनकर पर कवर स्टोरी प्रकाशित करेगा। उन्होंने कहा कि पांचजन्य दिनकर पर कई लेखों को प्रकाशित करेगा। ठाकुर ने कहा कि इन लेखों में इस बात की पड़ताल की जाएगी कि पिछले कुछ दशकों की राजनीतिक व्यवस्था में इस महत्वपूर्ण लेखक की उपेक्षा क्यों हुई। बिहार में इसी साल सितंबर-अक्टूबर में चुनाव होने हैं। बीजेपी के खिलाफ बिहार की लगभग विपक्षी पार्टियां गोलबंद हो गई हैं। ऐसे में पार्टी हर कदम चुनावी रणनीति को साधने के लिहाज से उठा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बिहार चुनाव बड़ी चुनौती है क्योंकि हाल में आए आॅपिनियन पोल के मुताबिक मोदी की लोकप्रियता बुरी तरह से प्रभावित हुई है।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने दिनकर पर बीजेपी की योजना का दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में शुभारंभ किया। इसके बाद राज्य में बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और पटना में दिनकर पर खास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ठाकुर ने कहा कि इसे लेकर लंबे समय से तैयारी चल रही थी। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में समान विचारधारा वाले लोग अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे। बीजेपी नेता ने कहा कि दिनकर नाम से एक इंस्टिट्यूट का गठन किया जाए जो हिन्दी भाषा पर काम करेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी की यह कोशिश भूमिहार जाति का समर्थन हासिल करने के लिए है। रामधारी सिंह दिनकर का ताल्लुक इसी जाति से है। ठाकुर की भी पहचान बिहार में भूमिहार नेता की ही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी लंबे समय से दिनकर की हो रही उपेक्षा को खत्म कर सम्मान दिलाना चाहती है। उन्होंने कहा आजादी के 6 दशक बाद भी हिन्दी ज्ञान और विज्ञान की भाषा नहीं बन पाई। -एनबीटी से
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