51 रथ पर सवार होकर आए 51 दुल्हे, अविस्मरीणय हुआ कन्यादान समागम

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राजेश कुमार.मैरवा सीवान।
आधुनिकता दिखावेपन व फिजूलखर्ची जैसे कुरीतियों को दूर करने के मकसद से बेटी बृक्ष बचाओ का अभियान छेड़े मैरवा प्रखंड के विलासपुर निवासी सुनिता अजीत ओझा ने षनिवार को कन्यादान समागम के तत्वाधान में 51 दुल्हे दुल्हन को पारंपरिक तरीके से धार्मिक स्वतंत्रता के बीच एक सूत्र में बांधकर जो भूमिका निभाई वह मैरवा के लिए अविस्मरीणय हो गया.यह समागम कम से कम  51 असहाय परिवारों के लिए वरदान साबित हुआ.इस समागम में षामिल वरवधू को देखने व इन विवाहों का गवाह बनने की हर किसी की इच्छा रही.तभी तो सायं 4 बजे मैरवा धाम से निकली बारात में अनगिनत बाराती रहे. जिधर से बारात गुजरी उधर से ही लोग अपना काम बंद कर बारात में षामिल हो चले. यही नहीं बल्कि हर एक लोग बारात को सकुषल मंजिल तक पहुचाने  के साथ एक दुसरे को प्रोत्साहित व सहयोग प्रदान करने में भूमिका अदा की. पुलिस प्रषासन थानाध्यक्ष अखिलेष मिश्रा के नेतृत्व में सुबह से ही नगर में सुरक्षा षांती को लेकर सजग रहे. मैरवा धाम से निकली बारात अपने कार्यक्रम के मुताबित समयानुसार 4 बजे से निकल प्राणगढी रोड होकर दर्जनों घोड़े हाथी व बैंड बाजा के साथ नाचते गाते लोग मेनरोड, पुरानी बाजार, थानारोड, मझौली रोड होकर  गुठनी मोड़ स्थित हरिराम हाई स्कूल के मैदान के वैवाहिक स्थल पर 6 बजे पहुची.जहां लोग बारातियों के स्वागत में लगे थे.
वैवाहिक उपहारों में नही थी कमी :
शादी के समय एक मॉ जैसे अपनी बेटी की विदाई व बारातियों के स्वागत केलिए एक एक चीज का ख्याल रखती है वैसे ही समागम के आयोजको ने तैयारिया कर रखा था. सभी 51 जोड़े के लिए अलग अलग 5 नग गहना, साड़ी, बरतन, 4 माह का अनाज,बिछावन, फर्निचर व वर वधुओं के माता पिता के लिए कपड़े यहा तक कि झापी के सामान तक उपलब्ध कराया था.
रही धार्मिक स्वतंत्रता :  कन्यादान के आयोजको ने 51 वरवधुओं को सामाजिक बंधन में बांधने के अपने कार्यक्रम में कानूनी रूप देने के साथ पूरी तरह धार्मिक स्वतंत्रता का ख्याल रखा था. हिन्दू के वर-वधुओं की षादी हिन्दू रीति रिवाज से तो मुस्लिम के वर बधुआें के लिए निकाह की ब्यवस्था प्रदान थी. mairawa
समागम का मकसद : कन्यादान समागम के उद्वेष्यों को समझाते हुए उसके कार्यकर्ता कृश्ण कुमार सिंह ने बताया कि पर्यावरण संरक्षा हेतु बृक्ष व मानव संरक्षा हेतु बेटिया बहुत जरूरी है. इसी को ध्यान में रख कन्यादान समागम कार्यक्रम के द्वारा एक जनजागरण किया जाता है कि हर कोई बृक्ष लगाए व बेटियों के पैदा होने पर न अफसोस जताए और ना ही बाह्य आडंबर का ध्यान रखे. वैवाहिक रिष्ता इंसान की जिंदगी की गतिविधियों को संचालित करने का अहम भूमिका निभाती है इस लिए इसकी तैयारी में फिजूलखर्ची बेवकूफी है.






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