भूकंप से मजबूत हुआ बिहार से रोटी-बेटी का संबंध
पटना। पिछले चार दिनों से आ रहे भूकंप के झटके से भले ही बिहार और नेपाल की सड़कों में दरारें आ गई हों, परंतु इससे दो देशों के संबंध और मजबूत हुए हैं। भारत-नेपाल के सीमावर्ती इलाके के लोग एकजुट होकर पीड़ितों की मदद में लगे हैं। दो देशों की सरहद की सीमा भी मानों इन मद्दारों के सामने टूट गई हैं। भारत और नेपाल में शुरू से ही रोटी और बेटी का संबंध रहा है। भूकंप के बाद जिस तरह पीड़ितों की मदद के लिए जिस तरह से भारत की ओर से मदद के लिए हाथ उठे हैं, उससे रोटी-बेटी का संबंध और मजबूत हुआ है। बिहार के लोग जहां रोजी-रोटी कमाने के लिए नेपाल जाते हैं, वहीं बिहार की कई बेटियों की ससुराल नेपाल में हैं।
भूकंप पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए दोनों देशों का प्रशासन, नागरिक और स्वयंसेवी संस्थाएं साथ-साथ जुटे हुए हैं। भारत-नेपाल सीमा पर रक्सौल के सीमा शुल्क चौकी के पास सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने राहत शिविर की स्थापना की है। एसएसबी के जवान नेपाल से आने वाले भूकंप पीड़ितों की सेवा में लगे हैं। इस शिविर में जहां दवा उपलब्ध है, वहीं जवान खाना बनाकर पीड़ितों को खाना खिला रहे हैं। इधर, वीरगंज में भी 15 राहत शिविर लगाए गए हैं। प्रत्एक शिविरों में 1000 लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है।
रक्सौल में राहत शिविर : नेपाल के काठमांडू, पोखरा और दूसरे इलाकों से वीरगंज के रास्ते पीड़ित रक्सौल पहुंच रहे हैं। रक्सौल के हजारीमल हाई स्कूल कैंपस में भी राहत शिविर बनाए गए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के डिप्टी कमांडेंट बालचंद्र कहते हैं, नेपाल से आ रहे पीड़ितों को सीमा से बस द्वारा राहत शिविर में लाकर इलाज करवाकर भोजन-पानी के साथ घर भेजा जा रहा है।
जरूरी सुविधाएं दी जा रही : पूर्वी चंपारण के प्रभारी डीएम भरत दूबे ने बताया कि नेपाल से आने वाले भूकंप पीड़ितों का यहां पंजीकरण कराया जा रहा है। इसके लिए स्टॉल लगाए गए हैं। आने वालों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
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