तीन बीधे में डेढ़ बोरा गेहूं देख किसान को हार्ट अटैक

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मौसम की मार : कम उपज देख किसान की हार्ट अटैक से मौत
गोपालगंज। मौसम की मार ने अन्नदाता किसानों को याचक बनने को विवश कर दिया है. खेतों में गेहूं की लहलहाती फसल को देख कर खुशियों से झूम उठनेवाले किसान बालियों में दाने नहीं देख कर सदमे में हैं. कुचायकोट प्रखंड की ढोढ़वलिया पंचायत के बंगरा गांव के एक किसान सदमे को बरदाश्त नहीं कर पाए और हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई. इसके पहले भी एक किसान की कुछ इसी तरह मौत हो गई थी. कई किसानों ने अपनी सारी जमा पूंजी गेहूं की फसल में लगा दी और मौसम की मार की वजह से खेतों डाले गए बीज की भी वापसी नहीं हो पाई.
खेत में अपनी उपज देख कुचायकोट प्रखंड की ढोढ़वलिया पंचायत के बंगरा गांव का एक किसान सदमे को बरदाश्त नहीं कर सका. गेहूं की बालियों में दाना नहीं देख हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई. गुरुवार की सुबह 38 वर्षीय किसान ददन तिवारी अपने तीन बीघा खेत में लगी गेहूं की फसल कटवाने गया था. कंबाइन मशीन से गेहूं कटने के बाद महज डेढ़ बोरा गेहूं की उपज देख उसे सदमा लग गया. कंबाइन मशीन वाले ने 28 सौ रुपए कटनी भाड़ा लिया.  किसान गेहूं साइकिल पर लाद कर घर पहुंचा. साइकिल खड़ी करते ही वह गिर पड़ा. तत्काल डॉक्टर के यहां ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उसे हार्ट अटैक से मौत होने की पुष्टि कर दी. किसान की मौत से परिजनों में कोहराम मच गया. इसके पहले भी इसी सदमे में हार्ट अटैक से एक किसान की मौत हो गई थी.

डीएम ने बुलाई फसल बीमा पर बैठक : मुआवजे से वंचित किसानों पर मरहम लगाने के लिए डीएम ने शुक्रवार को फसल बीमा को लेकर  आपात बैठक बुलाई है. बैठक में जिले के सभी बैंक अधिकारियों के अलावा बीमा कंपनी के अधिकारी को भी बुलाया गया है. डीएम का कहना है कि जिन किसानों का बैंक ने केसीसी दे रखा है, उनका फसल बीमा है. उन किसानों को मुआवजा बीमा कंपनी को देना होगा. बैठक  के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि क्या निर्णय होता है.
कटेया में भी किसान की हुई थी मौत : कटेया प्रखंड के खुरहुरिया गांव के किसान रामाधार साह की मौत 13 अप्रैल को गेहूं की कटनी कराने के बाद हो गई थी. उनकी साढ़े तीन बीघा जमीन में महज दो बोरा गेहूं की उपज हुई थी. इस सदमे को किसान बरदाश्त नहीं कर सका. उनके बेटों ने अब खेती नहीं करने का संकल्प लिया है. रामाधार साह की मौत के बाद भी कृषि विभाग के अधिकारियों ने सुधि नहीं ली है. किसी भी अधिकारी ने उसके घर पर जाना मुनासिब  नहीं समझा. जिलाधिकारी कृष्ण मोहन ने बताया कि उपज अच्छी नहीं होने के सदमे में हुई किसान की मौत काफी दुखद है. कृषि विभाग के अधिकारियों को तत्काल भेज कर पूरे मामले की जानकारी लेने के बाद इस घटना की रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी. जिले में गेहूं की बालियों में दाना नहीं आने के कारण किसान बेहाल हैं.

विभाग ने भेजी 9.5 करोड़ की क्षति की रिपोर्ट : बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से हुई क्षति का आकलन कर कृषि विभाग ने 9.5 करोड़ रुपए की क्षति की रिपोर्ट सरकार को भेजी है. कृषि विभाग की रिपोर्ट बुधवार की देर शाम भेजी गई है. क्षति की रिपोर्ट नहीं मिलने से गोपालगंज अब तक वंचित था. कृषि विभाग को उम्मीद है कि 30 मार्च के बाद हुई बारिश और ओलावृष्टि से जिन किसानों की फसलों की क्षति हुई, उन किसानों को सरकार की तरफ से मुआवजा मिलने का रास्ता साफ हो गया है. जिला कृषि पदाधिकारी डॉ रवींद्र सिंह ने बताया कि रिपोर्ट के आधार पर गोपालगंज के किसानों को फसल क्षतिपूर्ति का लाभ मिलेगा.
होती थी क्विंटल में पैदावार, हुई किलो में :  
गोपालगंज : मौसम की मार से किसानों की कमर टूट गई है. खलिहान में फसल देख किसानों के पैरों तले जमीन खिसक रही है. पहले जहां क्विंटल में पैदावार होती थी, वहां इस बार किलो के हिसाब से हुई है.
कुचायकोट के रामपुर दाउद के रामेश्वर मिश्र ने 12 बीघे में गेहूं की खेती की थी. इस बार उन्हें मात्र 2.85 क्विंटल अनाज ही मिला है, जबकि पिछले साल सौ क्विंटल पैदावार हुई थी. भोरे के पाखोपाली गांव के किसान विंध्याचल शर्मा बताते हैं कि पिछले साल एक बीघे में 10 क्विंटल गेहूं की पैदावार हुई थी. इस बार 1.25 क्विंटल से ही संतोष करना पड़ रहा है.
कई बटाईदार किसानों को अधिया पर खेत होने के कारण इसमें से भी आधा गेहूं ही उन्हें मिलेगा. इसी गांव के अब्दुल सतार कहते हैं कि लग रहा था कि आधी फसल बरबाद हो जाएगी, पर गेहूं के छोटे-छोटे दाने से उम्मीद ने दम तोड़ दिया. बैकुंठपुर के सिरसा मानपुर के किसान दीनानाथ सिंह ने 1.2 बीघे में गेहूं की बोआई की थी. फसल खेत में ही लेटी हुई है. उसे कटाया ही नहीं गया है. थावे के बृंदावन के रहनेवाले माधव सिंह की एक एकड़ में गेहूं की फसल पूरी तरह बरबाद हो गई है. सर्वे का कार्य कहां हो रहा है, पता नहीं. कुचायकोट के रमजीता गांव के सामाजिक कार्यकर्ता शैलेश पांडेय ने 24 बीघे में गेहूं की खेती की थी, लेकिन मौसम ने पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया.






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