संघ ने किया भाजपा को सतर्क, बिहार में चुनौती कड़ी

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बिहार कथा. नागपुर।
राष्ट्रीय स्वयंएवक संघ ने भाजपा को बिहार विधानसभा चुनाव को  लेकर सतर्क कर दिया है। नागपुर में संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में संघ ने अपने विभिन्न संगठनों से मिली जानकारी के आधार पर भाजपा से कहा है कि बिहार के अलावा, पश्चिम बंगाला और उत्तर प्रद ेश में जमीनी हालात भाजपा के लिए उतने अच्छे नहीं है जितने हरियाणा, महाराष्ट्र व झारखंड में थे। संघ के अपने आकलन में बिहार में भाजपा को कड़ी चुनौती है। संघ का मानना है कि बिहार में भाजपा को अभी से जमीनी चुनावी तैयारी करनी होगी।
बैठक में दिल्ली की हार व जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने व अनच्छेद 370 पर नई सरकार के रुख की भी समीक्षा हुई है। संघ व भाजपा की अगले सप्ताह होने वाली समन्वय समिति की बैठक में इन सारे मुद्दों पर व्यापक चर्चा होने की उम्मीद है। संघ की नसीहत का असर भाजपा की अगले माह 3-4 अप्रैल को बंगलुरु में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर पड़ सकता है। भाजपा अध्यक्ष जल्दी ही केंद्रीय पदाधिकारियों के रिक्त (कुछ पदाधिकारियों के मंत्री बनने से) पड़े लगभग एक तिहाई पदों पर नई नियुक्तियां कर सकते हैं। संभावना है कि बिहार के कोटे से कुछ नेताओं को केंद्रीय मंत्रीपरिषद में शामिल किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार संघ ने दिल्ली की हार व जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने के मुद्दे पर अपनी चिंताओं से भाजपा नेतृत्व का आगाह कर दिया है। दिल्ली से सबक लेने की सलाह देते हुए उसने कहा है कि जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने के लिए अनुच्छेद 370 पर नरम रुख नुकसानदेह हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार बैठक में संघ के एक नेता ने तो यह टिप्पणी भी की अनुच्छेद 370 पर भाजपा का नरम रुख उसके लिए भस्मासुर साबित हो सकता है। भाजपा नेतृत्व ने बैठक में साफ किया कि वह सरकार के लिए संघ व भाजपा के मूल मुद्दों से कोई समझौता नहीं करेगी। भाजपा नेतृत्व ने वे कारण भी बताए जिनके तहत सरकार बनाने का फामूर्ला निकाला गया। संघ के अपने आकलन में बिहार में भाजपा को कड़ी चुनौती है। वहां पर उसे अभी से जमीनी चुनावी तैयारी करनी होगी। हालांकि अगले साल पश्चिम बंगाल में भाजपा को अपनी जड़ें मजबूत करने का मौका मिल सकता है। पार्टी को सीटों से ज्यादा लाभ वोट प्रतिशत के मामले में होने की संभावना है। संघ की सबसे ज्यादा चिंता उत्तर प्रदेश को लेकर रही। यहां पर 2017 में होने वाले चुनावों में भाजपा को लोकसभा जैसी सफलता मिलने की उम्मीद काफी कम है। बसपा उस पर भारी पड़ सकती है।






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