विधान परिषद चुनाव की सियासत : खुल सकता है शम्भूशरण का किस्मत का ताला

Er. Shambhu

मुकेश सिंह, जमुई से
बिहार विधान परिषद् के मुंगेर-जमुई- लखीसराय-शेखपुरा स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र के चुनाव की चर्चाएं भी जगह बनाने लग गयी हैं। इस क्षेत्र से अभी राजद के संजय प्रसाद विधान पार्षद हैं। 2009 के चुनाव में बड़े ही रोचक समीकरण से राजद को यह सीट हासिल हुई थी। तब राजग की ओर से जदयू ने पूर्व विधान पार्षद रवीन्द्र यादव को राजद से लाकर मैदान में उतारा था। आज के बदले सियासी हालात में राजनीतिक परिदृश्य बिल्कुल उलट गया है। राजद अब बिहार की राजनीति में जद यू की सहयोगी पार्टी है, जबकि पराजित जद यू प्रत्याशी अब भाजपा के सिपहसालार बने हुए हैं। बताया जाता है कि वर्ष 2009 में भी जमुई जिला जद यू के तत्कालीन जिलाध्यक्ष एवं वर्तमान में जद यू प्रदेश राजनैतिक सलाहकार समिति के सदस्य ई0 शम्भूशरण एवं पथ निर्माण मंत्री ललन के करीबी एवं लखीसराय जिप के पूर्व अध्यक्ष रामशंकर शर्मा उफर्  नूनू बाबू के नाम की चर्चा चली थी, किन्तु तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी एक यात्रा के दौरान जमुई में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह के आग्रह पर राजद से आये रवीन्द्र यादव को जद यू की उम्मीदवारी की घोषणा करवाकर चर्चाओं पर विराम लगा दिया था। बताया जाता है कि इसी कारण जनता दल यू एवं भाजपा का बड़ा आधार वोट जद यू प्रत्याशी से बिदककर राजद उम्मीदवार को समर्थन देकर विधान पार्षद बना दिया था। तभी से ही जनता दल एवं पुरानी समता पार्टी के कार्यकर्ता ई0 शम्भूशरण को वर्तमान विधान पार्षद संजय प्रसाद के विकल्प के रूप में तैयारी करने की सलाह देने लगे थे। बताया जाता है कि वर्तमान विधान पार्षद संजय प्रसाद के साथ क्षेत्र में एंटी इनकम्बेन्सी फैक्टर कुछ ज्यादा ही प्रभावी है। इसलिए जद यू नेताओं में चर्चा है कि ई0 शम्भूशरण को यदि पार्टी का आधिकारिक उम्मीदवारी मिलती है तो पिछले समीकरण को अपने पक्ष में करने में कोई ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ सकेगी। श्री शरण ने बीÞआईÞटीÞ मेसरा से इंजिनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद नीतीश कुमार एवं 1995 में शेखपुरा से समता पार्टी प्रत्याशी रहे स्व. रामचन्द्र सिंह के आह्वान पर इरकॉन की लगी लगायी नौकरी को छोड़कर जंगलराज हटाओ अभियान में नीतीश के हमकदम बन गये। बाद में जिला पार्टी महासचिव एवं बिहार में सरकार बनने के बाद वर्ष 2006 में नीतीश कुमार के हस्तक्षेप से पहली बार जिलाध्यक्ष बनाये गये। वहीं दूसरे टर्म के लिए वे बहुमत से निर्वाचित हुए। साफ -सुथरी छवि, कुशल सांगठनिक क्षमता एवं अपनी ओजपूर्ण भाषण शैली के कारण वर्तमान भवन निर्माण मंत्री दामोदर रावत एवं सिकन्दरा सुÞ के विधायक रामेश्वर पासवान के ये प्रियपात्र बने रहते हैं। पूर्व सांसद भूदेव चौधरी से लेकर बीते लोकसभा चुनाव के जद यू प्रत्याशी उदय नारायण चौधरी को भी इनके नाम पर कोई आपाि नहीं होगी। हलांकि कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह एवं उनके विधायक पुत्रों के साथ असहज रिश्ता इनकी राह में रोड़ा अटका सकता है। अन्य दलों के प्रलोभन एवं ललन सिंह के बगावत के समय भी नीतीश कुमार के साथ वफ ादारी से खड़ा रहना इनकी सबसे बड़ी यूÞएसÞपीÞ है। सूत्रों की मानें तो कार्यकर्ताओं का एक तबका आगामी विधानसभा चुनाव में भी उम्मीदवार बदलने की मांग कर रहा है। ऐसे परिस्थिति में भी श्री शरण की गोटी लाल हो सकती है। वैसे चुनाव में अभी काफ ी समय है फि र जद यू का राजद के साथ महागठबंधन एवं महाविलय पर भी लोगों की निगाह है। दूसरी ओर राजग की ओर से अभी तक कोई उम्मीदवार सामने नहीं आया है, किन्तु परदे के पीछे कई लोगों की तैयारी चल रही है। बताया जाता है जद यू-राजद की ओर से नाम सामने के आने के बाद ही भाजपा-लोजपा अपने पत्ते खोलेगी। बहरहाल यह कहा जा सकता कि जद यू के पास उपलब्ध विकल्पों में से विधान पार्षद उम्मीदवारी के लिए श्री शरण का नाम सबसे उपर है।






Related News

  • मोदी को कितनी टक्कर देगा विपक्ष का इंडिया
  • राजद व जदयू के 49 कार्यकर्ताओं को मिला एक-एक करोड़ का ‘अनुकंपा पैकेज’
  • डॉन आनंदमोहन की रिहाई, बिहार में दलित राजनीति और घड़ियाली आंसुओं की बाढ़
  • ‘नीतीश कुमार ही नहीं चाहते कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, वे बस इस मुद्दे पर राजनीति करते हैं’
  • दाल-भात-चोखा खाकर सो रहे हैं तो बिहार कैसे सुधरेगा ?
  • जदयू की जंबो टीम, पिछड़ा और अति पिछड़ा पर दांव
  • भाजपा के लिए ‘वोट बाजार’ नहीं हैं जगदेव प्रसाद
  • नड्डा-धूमल-ठाकुर ने हिमाचल में बीजेपी की लुटिया कैसे डुबोई
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com