भोजपुरी सिनेमा महिलाओं का इस्तेमाल करती है
आनंद दत्त. रांची. कसौटी जिंदगी से घर – घर में पहचान मिला। राजा चौधरी से मारपीट के बाद तलाक से काफी चर्चा में रही। बिग बॉस की विजेता बनने के बाद इंडस्ट्री में फिर से खुद को स्थापित किया। हिन्दी और भोजपुरी सिनेमा भी दखल दी। इन सब के बीच टीवी पर लगातार बनी रही। एक बार फिर शाहरुख खान के चैनल एंड टीवी पर बेगुसराय नामक सीरियल से छोटे पर्दे पर छाने को तैयार है। गुरुवार को रांची में एक निजी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आई। पेश है बातचीत के अंश..
बेगुसराय में आपकी क्या भूमिका है?
यह बिहार के एक जिले बेगुसराय पर आधारित कहानी है। इसमें मेरा रोल एक बिंदिया नामक नचनिया की है। मैं यह दावे के साथ कह सकती हूं कि टीवी इंडस्ट्री में आज तक किसी ने नचनिया का रोल नहीं किया है। वह सीलियल को सबसे अधिक मशालेदार और ट्विस्ट लाने वाला किरदार है।
आनेवाली हिन्दी फिल्म कौन सी है?
टीवी कलाकारों के साथ यह ट्रेजडी है कि वह 28 दिन शूट करते हैं। फिल्में देख नहीं सकते तो फिल्में करेंगे कहां से। फिलहाल बेगुसराय मेरी प्राथमिकता है।
लेकिन सुशांत, यामी, जय जैसे कलाकार हैं जो टीवी से फिल्मों में आ रहे हैं?
जहां तक इन कलाकारों की बात है, उन्हें केवल छोटे रोल ऑफर हो रहे हैं। वह करने ना करने के बराबर है। उससे बेहतर है कि अच्छे से टीवी में ही काम किया जाए। जहां आपके लिए पूरा स्कोप हो।
भोजपुरी फिल्में करना क्यों छोड़ दिया?
मुझे यह कहते बहुत दु:ख हो रहा है कि भोजपुरी सिनेमा में औरतों को नुमाइश करनेवाली मशीन समझी जाती है। सिनेमा बनानेवालों को दिमाग बदलने की जरूरत है।
क्या भोजपुरी को डबल मीनिंग वाली भाषा बना दी गई है?
नहीं भोजपुरी भाषा डबल मीनिंग वाली कतई नहीं है। उसे केवल सिनेमा और एलबम बनाने वालों ने डबल मीनिंग वाला बना दिया है। यही वजह है कि लोग इसे केवल डबल मीनिंग भाषा समझने लगे हैं।
आपके साथ वाले राजनीति में हैं, आप कब तक?
मैं उन कलाकारों में से नहीं हूं जो कुछ सालों तक घर बैठ जाए और फिर कहे कि चलो अब राजनीति करते हैं। मैंने इस इंडस्ट्री से खूब पैसे कमा लिए हैं। मेरे पास काम ज्यादा है। और सच बात तो यह है कि मुङो राजनीति से घृणा है। आइ हेट पॉलिटिक्स
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