जहां शुभ मानकर होती है चमगादड़ों की पूजा

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बिहार कथा. वैशाली।
आमतौर पर चमगादड़ों का नाम आते ही मन में अशुभ आशंकाएं उभरने लगती हैं लेकिन बिहार के वैशाली जिले के सरसई गांव व ऐतिहासिक वैशाली गढ़ में चमगादड़ों की न केवल पूजा होती है बल्कि लोग मानते हैं कि चमगादड़ उनकी रक्षा भी करते हैं।
ऐतिहासिक स्थल वैशाली गढ़ पर इन चमगादड़ों को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है. यहां लोगों की मान्यता है कि चमगादड़ समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के समान हैं। सरसई गांव के बुजुर्ग कमेश्वर यादव का दावा है कि यह भ्रम है कि चमगादड़ अशुभ हैं। उनका दावा है कि चमगादड़ का जहां वास होता है वहां कभी धन की कमी नहीं होती। उन्होंने कहा कि आज हमारे गांव में लोग घरों में ताले नहीं लगाते, फिर भी किसी के घर में चोरी नहीं होती। यहां  चमगादड़ यहां कब से हैं, इसकी सही जानकारी किसी को भी नहीं है। इतिहास विषय में एमए करने वाले नीरज ने बताया कि मध्यकाल में वैशाली में महामारी फैली थी जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान गई। इसी दौरान बड़ी संख्या में यहां चमगादड़ आए और फिर यहीं यहीं के होकर रह गए। इसके बाद से यहां किसी प्रकार की महामारी कभी नहीं आई।
शुभकार्य से पहले पूजा : सरसई के पीपलों के पेड़ों पर अपना बसेरा बना चुके इन चमगादड़ों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है। गांव के लोग न केवल इनकी पूजा करते हैं बल्कि इन चमगादड़ों की सुरक्षा भी करते हैं। यहां ग्रामीणों का शुभकार्य इन चमगादड़ों की पूजा के बगैर पूरा नहीं माना जाता।
विषाणुओं को नष्ट करती है गंध : वैज्ञानिकों का भी कहना है कि चमगादड़ों के शरीर से जो गंध निकलती है वह उन विषाणुओं को नष्ट कर देती है जो मनुष्य के शरीर के लिए नुकसानदेह माने जाते हैं। यहां के ग्रामीण इस बात से खफा हैं कि चमगादड़ों को देखने के लिए यहां यहां पर्यटक भी आते हैं, लेकिन सरकार ने उनकी सुविधा के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।
चमगादड़ का अस्पताल
आॅस्ट्रेलिया के एक ऐसा भी अस्पताल है जहां बीमार चमगादड़ों का इलाज होता है। आॅस्ट्रेलिया के एथर्टन शहर में स्थित टोल्गा बैट हॉस्पिटल में चमगादड़ों के बच्चों का इलाज किया जाता है। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल इस हॉस्पीटल की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिसे देखकर लोग ताज्जुब कर रहे हैं कि इंसानों की तरह दुनिया में चमगादड़ों का भी अस्पताल है, जहां उनका इलाज होता है। अस्पताल में चमगादड़ों के ऐसे बच्चों का इलाज किया जाता है जो पैरालाइसिस के शिकार हो चुके होते हैं या फिर जिनकी मां नहीं है। वहीं, ऐसे बच्चों को भी भर्ती किया जाता है। इलाज के पश्चात इन बच्चों को चमगादड़ों वाले पार्क में छोड़ दिया जाता है।






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