छपरा में ट्रक ने 19 साल की लड़की को रौंदा, आक्रोशित भीड़ ने किया चक्काजाम
छपरा। शहर के बाइपास रोड पर शुक्रवार की सुबह अनियंत्रित ट्रक ने 19 वषीर्या कॉलेज छात्रा को रौंद डाला, जिससे घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे से नाराज स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। लोग सड़क पर उतर गए। पहले तो लोगों ने ट्रक को क्षतिग्रस्त किया और फिर रोड जाम कर वाहनों का आवागमन ठप कर दिया।
मौके पर पहुंचे सदर एसडीओ और बीडीओ के वाहनों पर रोड़ेबाजी की और एसडीओ के वाहन के शीशे तोड़ डाले। हादसे में शिकार हुई छात्रा प्रिया कुमारी प्रभुनाथ नगर की सोसायटी कॉलोनी में रहने वाले शिक्षक अजय कुमार शाही की पुत्री थी। हालांकि वह मूल रूप से सीवान जिले के रघुनाथपुर थाना क्षेत्र के टांड़ी बाजार गांव की निवासी थी और शहर के जगलाल चौधरी कॉलेज में बीए पार्ट वन फिजिक्स आॅनर्स की छात्रा थी।
प्रिया के पिता की तबीयत खराब थी। सुबह करीब साढ़े छह बजे वह बीमार पिता के लिए दवा लेकर साइकिल से घर लौट रही थी। वह प्रभुनाथ नगर कदम चौक के कुछ पहले दलित बस्ती के पास पहुंची थी कि विपरीत दिशा से तेज गति से आ रहा आटा लदा ट्रक उसे कुचलते हुए आगे निकल गया। मौके पर ही उसने दम तोड़ दिया। हादसे के बाद भाग रहे ट्रक का जब स्थानीय लोगों ने पीछा किया तो चालक बाइपास में ही पानी टंकी के पास ट्रक खड़ा कर फरार हो गया। लोगों ने ट्रक के शीशे तोड़ डाले और उसके पहियों की हवा निकाल दी। फिर बांस-बल्ला लगा रोड जाम कर प्रदर्शन करने लगे।
एसडीओ की गाड़ी देखते ही शुरू हो गई रोड़ेबाजी
हादसे की सूचना पर सदर एसडीओ कयूम अंसारी, बीडीओ विनोद आंनद, सीओ रघुनाथ तिवारी मुफस्सिल थाने की पुलिस के साथ स्थल पर पहुंचे। एसडीओ और अन्य अधिकारियों की गाड़ी देखते ही प्रदर्शनकारियों ने रोड़ेबाजी शुरू कर दी। एसडीओ के वाहन के शीशे टूट गए, जबकि बीडीओ के वाहन को ले ड्राइवर किसी तरह वहां से निकल सका, लेकिन अधिकारियों ने आपा नहीं खोया। वे गाड़ियों से उतर गए और उनके चालक वाहनों को लेकर भाग निकले। प्रदर्शनकारी पूरे गुस्से में थे और उनका कहना था कि जब तक मृत छात्रा के परिजनों को मुआवजा नहीं मिलता और यहां रोड पर स्पीड ब्रेकर नहीं बनता तब तक न वे शव उठने देंगे और न ही रोड पर यातायात बहाल होने देंगे। मान-मनौव्वल का क्रम जारी रहा और मशक्कत चलती रही। बीजेपी के पूर्व प्रत्याशी कन्हैया सिंह ने मध्यस्थता की और बाद में एसडीओ ने परिजनों को समुचित सहायता और फिलहाल रोड पर पुलिस डिवाइडर बोर्ड लगवाने और फिर ब्रेकर बनवाने की घोषणा की। फिर करीब चार घंटे बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा गया और वाहनों का आवागमन शुरू हुआ।
प्रभुनाथ नगर के पास सड़क पर हर माह होती है मौत
जगदम कॉलेज रेलवे ढाला के बाद बाइपास पर प्रभुनाथ नगर कदम चौक से ले पानी टंकी मोड़ तक का इलाका डेंजर जोन बना हुआ है। यहां अक्सर रोड हादसे होते हैं और लोग बेमौत मरते हैं। यहीं वजह था कि लोग यहां स्पीड ब्रेकर बनवाने की मांग पर अड़े थे। पानी टंकी के पास जहां अंधा मोड़ है, वहीं उसके आगे टाटा मोटर्स के शो रूम तक टेढ़ामेढ़ा घुमावदार रोड है।
एनएच का बाइपास होने की वजह से इस रोड पर वाहनों का दबाव बना रहता है। एक तरफ जगदम कॉलेज रेलवे ढाला और दूसरी तरफ सांढ़ा ढाला मोड़ पर अक्सर लगने वाले जाम की वजह से चालक भी इस इलाके से वाहनों को निकालने की जल्दी में रहते हैं। सदर एसडीओ ने भी स्वीकारा कि यह स्थल एक्सीडेंट जोन बन गया है और लगभग हर माह एक मौत होती है।
प्रिया की मौत के बाद बनने लगा स्पीड ब्रेकर
प्रभुनाथ नगर मोड़ के आसपास स्पीड ब्रेकर बनवाने की यहां के लोगों की वर्षों से चली आ रही मांग शुक्रवार को प्रिया की मौत के बाद पूरी हो गई। सदर एसडीओ ने घोषणा की कि एनएच पर स्पीड ब्रेकर बनाने का प्रावधान नहीं है। लेकिन इस इलाके में वाहनों की गति को नियंत्रित करना जरूरी है। इसलिए लोकहित में यहां स्पीड ब्रेकर बनेगा। उनकी घोषणा के बाद सदर बीडीओ सक्रिय हुए और उन्होंने बताया कि स्पीड ब्रेकर बनाने का काम आज ही शुरू कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि मृत छात्रा के परिजनों को सामाजिक सुरक्षा मद से 20 हजार रुपए की सहायता भी दे दी गई है।
सात साल पहले सीवान से आकर बसा शिक्षक परिवार
प्रिया के पिता अजय कुमार शाही सीवान जिले के दरौंधा मिडिल स्कूल में स्थाई शिक्षक हैं। सीवान जिले के निवासी और वहीं नौकरी करने के बावजूद छपरा से उनका लगाव है। बच्चों की पढ़ाई और छपरा से लगाव को ले उन्होंने प्रभुनाथ नगर की सोसायटी कॉलोनी में मकान बनवाया और 2008 से वे सपरिवार यहीं रह रहे हैं। बच्चे छपरा में पढ़ते हैं और वे स्वयं रोज ट्रेन से जाकर स्कूल करते हैं। तीन पुत्रियों और एक पुत्र में प्रिया सबसे बड़ी थी। उससे छोटी बेटी पल्लवी 14 साल और निधि 12 साल की है। आठ वर्षीय पुत्र उत्कर्ष सबसे छोटा है। पिता के स्कूल जाने के बाद प्रिया ही घर के सारे काम देखती थी। वह परिवार के लिए सहारा थी।
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