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कहां जाएगी पत्रकारिता..जब उसकी पढ़ाई का ऐसा हाल होगा..

उमेश चतुर्वेदी हाल के दिनों में मेरा साबका पत्रकारिता के कुछ विद्यार्थियों से हुआ…सभी विद्यार्थी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कुछ संस्थानों में पढ़ रहे हैं..कोई पहले साल का छात्र है तो कोई तीसरे साल का.. इन सभी छात्रों में एक समानता नजर आई…वे आज के टेलीविजन के एंकरों को खूब जानते हैं..लेकिन समाचार या विचार को नहीं..सोशल मीडिया में इन एंकरों की जो छवि है..जिस वैचारिक धारा के वे एंकर हैं..उनकी भी सोच कमोबेश वैसी ही है.. दो किश्तों में इन छात्रों से मुलाकात हुई..इनमें से दो याRead More


रोबो जर्नलिज्म आज के मीडिया की हकीकत : शशि शेखर

मीडिया शिक्षा के क्षेत्र में आईआईएमसी ने किए नए प्रयोग : प्रो. संजय द्विवेदी भारतीय जन संचार संस्थान में स्थापना दिवस व्याख्यान का आयोजन नई दिल्ली। ”रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आज के मीडिया की हकीकत है। तकनीक ने अब मीडिया को पूरी तरह बदल दिया है। तकनीकी क्षमता आज पत्रकारों की महत्वपूर्ण योग्यता है।” यह विचार हिन्दुस्तान समाचार पत्र के प्रधान संपादक श्री शशि शेखर ने मंगलवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के 57वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित विशेष व्याख्यान में व्यक्त किए। इस अवसर पर संस्थानRead More


पत्रकारिता का नया मदारी अरनब गोस्वामी, जानिए इसकी कुंडली

श्याम मीरा सिंह अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक चैनल 6 मई 2017 के दिन पत्रकारिता के बाजार में एक नए मदारी की एंट्री होती है। मदारी अर्नब, दुकान का नाम ‘रिपब्लिक’। आप रिपब्लिक टीवी के बारे में कुछ याद कीजिए- पहले दिन – लालू प्रसाद यादव और शहाबुद्दीन की बातचीत की स्टोरी ब्रेक की जाती है। दूसरे दिन – आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा को लांच किया जाता है जो आम आदमी पार्टी में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर 2 करोड़ की घूसखोरी का सनसनीखेज आरोप लगाता है।Read More


डिजिटल मीडिया ने लाया प्रेस विज्ञप्ति में बड़ा बदलाव

New Delhi, India, June 10, 2019 – प्रेस विज्ञप्ति (Press Releases) को मूल रूप से एक विशेष मामले की जानकारी देने वाले समाचार पत्रों को जारी किए गए आधिकारिक बयान के रूप में परिभाषित किया जाता है । दुनिया के डिजिटल होने के साथ, समाचार भी डिजिटल हो गए और इसलिए समाचार, प्रेस विज्ञप्ति और विज्ञापनों के रूप भी सामने आए। पूरी दुनिया में डिजिटलीकरण के आगमन के साथ, भारत भी लीग में शामिल हो गया। इसे ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम का नाम दिया गया। इसने बड़े पैमाने पर लोगों को ऑनलाइन लायाRead More


देवी देवता : जिनको पैदा होना था, वो हो लिए

कलर प्रिंटिंग प्रेस के कारण देश भर में देवता एक जैसे हो गए. राजा रवि वर्मा ने जैसी पेंटिंग बनाई, उसी के कलेंडर पहली बार बने और अब पूरा देश राम, लक्ष्मी, सरस्वती और कृष्ण को उसी रूप में जानता है, जैसा रवि वर्मा ने बनाया. जिनको पैदा होना था, वो हो लिए फिर कुछ देवता फिल्मों ने दिए. जैसे संतोषी माता और वैष्णो देवी. ये रहे होंगे पहले भी. लेकिन इनको राष्ट्रीय फिल्मों ने बनाया. ऑडियो और वीडिया कैसेट के जरिए वैष्णो देवी और साई बाबा गांव-गांव तक पहुंचे.Read More


ज्यादा बुरा कौन? फेक वेबसाइट्स या चैनल-अखबार?

बेहतर क्या? बल्कि ज्यादा बुरा कौन? फेक वेबसाइट्स या चैनल-अखबार? बहुजनों, एससी-एसटी-ओबीसी-माइनॉरिटी के लिए क्या फेक न्यूज और क्या असली न्यूज. जैसे फेक वेब साइट वैसे ही चैनल और अखबार. दोनों ब्राह्मण-बनियों के कंट्रोल में हैं. फेक न्यूज साइटों से ज्यादा नुकसान तो चैनल और अखबार करते हैं जो दावा करते हैं कि उनकी खबरें सही होती हैं. मंडल कमीशन के खिलाफ राममंदिर का पूरा आंदोलन फर्जी साइट्स ने नहीं, अखबारों और चैनलों ने चलाया. आरक्षण के खिलाफ माहौल अखबार और चैनल बनाते हैं. दंगे चैनल और अखबार कराते हैं.Read More


हिंदी अखबारों का ये कैसा दौर

संजय कुमार सिंह मैं कोलकाता के अंग्रेजी दैनिक दि टेलीग्राफ का फैन हूं। शुरू से। भाजपा सांसद एमजे अकबर इसके संस्थापक संपादक हैं और मैं स्थापना के समय से पढ़ रहा हूं। हो कांग्रेस होते हुए भाजपा में पहुंचे हैं। दिल्ली आने के बाद यह अखबार नहीं मिलता था पर जब भी मौका मिला पुरानी फाइलें भी पढ़ता रहा। इधर कुछ साल से नेट पर मिलने लगा है तो मैं और कुछ करूं या नहीं टेलीग्राफ जरूर पढ़ता हूं। अब नेट (डेस्क टॉप कंप्यूटर पर) पढ़ने की ऐसी आदत पड़Read More


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