Justice

 
 

अब अदालती फैसले हिंदी में

डॉ. वेदप्रताप वैदिक आजादी के 70 साल बाद भी हमारा देश अंग्रेजी का गुलाम है। किसी भी शक्तिशाली और संपन्न राष्ट्र के अदालतें विदेशी भाषा में काम नहीं करतीं लेकिन भारत की तरह जो पूर्व गुलाम देश हैं, उनके कानून भी विदेशी भाषाओं में बनते हैं और मुकदमों की बहस और फैसले भी विदेशी भाषा में होते हैं। जैसे बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, मोरिशस आदि ! भारत की अदालतें यदि अपना सारा काम-काज हिंदी में करें तो उन पर कोई संवैधानिक रोक नहीं है लेकिन जब भारत की संसद ही अपनेRead More


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