Hindi Diwas

 
 

अंग्रेजी की तरह उदार नहीं हिंदी

प्रो. राजेन्द्र प्रसाद सिंह, अंग्रेजी में मूल शब्द दस हजार हैं और आज साढ़े सात लाख पहुंच गए हैं, यानी कि सात लाख चालीस हजार शब्द बाहर से आए. इसका पता हम लोगों को नहीं है. जैसे अलमिरा को हम लोग मान लेते हैं कि ये अंग्रेजी भाषा का शब्द है, लेकिन वह पुर्तगाली भाषा का शब्द है. इसी तरह रिक्शॉ को हम मान लेते हैं कि अंग्रेजी का है, लेकिन वह जापानी भाषा का है. चॉकलेट को हम मान लेते हैं कि ये अंग्रेजी भाषा का शब्द है, लेकिनRead More


भावनाओं की भाषा हिंदी !

भावनाओं की भाषा हिंदी ! ध्रुव गुप्त आज 14 सितम्बर को हर साल मनाया जाने वाला हिंदी दिवस 1949 में आज ही के दिन भारत की संविधान सभा द्वारा  लिए गए उस निर्णय का उत्सव है जिसमें  भारत की राजभाषा के रूप में देवनागरी में लिखी हिंदी को मान्यता दी गई। उसके साथ शर्त यह थी कि   कि अगले पंद्रह सालों तक हिन्दी के साथ अंग्रेजी भी राजकाज की भाषा रहेगी और बाद में समीक्षा के बाद सिर्फ हिंदी को यह दर्ज़ा दिया जाएगा । ‘हिंदी दिवस’ तब से राजभाषाRead More


दुनिया में हर व्यक्ति के जन्म की भाषा केवल हिन्दी !

 डा. श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट भले ही कुछ लोग अंग्रेजी को दुनिया का पासपोर्ट बताते हो और भारत में अंग्रेजी की खुलकर पैरवी करते हो। लेकिन सच यही है कि हिन्दी समेत सभी भारतीय भाषाओं को बोनी भाषा बताकर अंग्रेजी की पैरवी करना बेहद शर्मनाक है। यह कुछ लोगो की अंग्रेजियत भरी सोच हो सकती है जिसका भारतीयता से कोई नाता नही है। ऐसे लोग या तो हिन्दी अच्छी तरह से जानते नही या फिर उन पर अंग्रेजी इस कदर सवार है कि उन्हे अंग्रेजी के सिवाए कोई दुसरी भाशा दिखाईRead More


दुनिया में एक ईमानदार और ताकतवर इंसान एक साथ नहीं मिला

यह देश क्या ऐसे ही चलेगा? पुष्यमित्र हम रघुवर दास को चुनाव में हरा कर खुश हो जाएंगे और हेमन्त सोरेन के व्यक्तित्व में खूबियाँ तलाशने लगेंगे। हम कहने लगेंगे बन्दा बहुत सहज है, अपना जैसा लगता है। रघुवर दास जैसा एरोगेंट नहीं है, जो अपने कार्यकर्ताओं तक को नहीं तरजीह देता था। हम नीतीश को हरा देंगे और फिर तेजस्वी को सत्ता दे देंगे। मोदी को हरा कर राहुल को ले आएंगे। फिर एक रोज समझ आएगा कि ये लोग ढीले हैं, भ्रष्टाचार को तरजीह देने वाले हैं औरRead More


दुनिया में हर व्यक्ति के जन्म की भाषा केवल हिन्दी !

डा.श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट भले ही कुछ लोग अंग्रेजी को दुनिया का पासपोर्ट बताते हो और भारत में अंग्रेजी की खुलकर पैरवी करते हो। लेकिन सच यही है कि हिन्दी समेत सभी भारतीय भाषाओं को बोनी भाषा बताकर अंग्रेजी की पैरवी करना बेहद शर्मनाक है। यह कुछ लोगो की अंग्रेजियत भरी सोच हो सकती है जिसका भारतीयता से कोई नाता नही है। ऐसे लोग या तो हिन्दी अच्छी तरह से जानते नही या फिर उन पर अंग्रेजी इस कदर सवार है कि उन्हे अंग्रेजी के सिवाए कोई दुसरी भाशा दिखाई हीRead More


हिंदी महारानी है या नौकरानी ?

डॉ. वेदप्रताप वैदिक आज हिंदी दिवस है। यह कौनसा दिवस है, हिंदी के महारानी बनने का या नौकरानी बनने का ? मैं तो समझता हूं कि आजादी के बाद हिंदी की हालत नौकरानी से भी बदतर हो गई है। आप हिंदी के सहारे सरकार में एक बाबू की नौकरी भी नहीं पा सकते और हिंदी जाने बिना आप देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। इस पर ही मैं पूछता हूं कि हिंदी राजभाषा कैसे हो गई ? आपका राज-काज किस भाषा में चलता है ? अंग्रेजीRead More


हिंदी दिवस पर जानिये बिहार के सबसे बड़े हिंदी सेवी को

#हिंदीदिवस पुष्यमित्र क्या आप जानते हैं कि यह तसवीर किनकी है? अगर आप हिंदी प्रेमी हैं तो आपको जानना चाहिए. यह महराजकुमार रामदीन सिंह की तसवीर है, जिन्होंने उन्नीसवीं सदी के आखिर में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए पटना में खड़ग विलास प्रेस की स्थापना की थी. इस खगड़ विलास प्रेस का महत्व आप इसी बात से समझ सकते हैं कि आधुनिक हिंदी साहित्य के निर्माता कहे जाने वाले भारतेंदु हरिश्चंद्र की 80 फीसदी से अधिक किताबें इसी प्रेस से छपी थीं. उनके अलावा उस दौर के ज्यादातर हिंदी साहित्यकारRead More


‘हिंदी दिवस’ का कर्मकांड ?

ध्रुव गुप्त आज हिंदी दिवस है। हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रति अश्रु-विगलित भावुकता का दिन। हर सरकारी या गैर सरकारी मंच से हिंदी की प्रशस्तियां गाई जाएंगी, लेकिन जिन कमियों की वज़ह से हिंदी आजतक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना अपेक्षित गौरव हासिल नहीं कर पाई है, उनकी बात कोई नहीं करेगा। हिंदी कल भी भावनाओं की भाषा थी, आज भी भावनाओं की ही भाषा है ! आज के वैज्ञानिक और अर्थ-युग में किसी भी भाषा का सम्मान उसे बोलने वालों की संख्या और उसका साहित्य नहीं, विज्ञान कोRead More


हिन्दी को अब राष्ट्रभाषा होना ही है

प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी राष्ट्रभाषा को समझने से पहले राष्ट्र, देश और जाति शब्दों को समझना असमीचीन न होगा। वस्तुत: ‘राष्ट्र’ को अंग्रेज़ी शब्द ‘नेशन’(Nation) का हिन्दी पर्याय माना जाता है,किंतु इन दोनों शब्दों में कुछ अंतर है। अंग्रेज़ी में ‘नेशन‘ शब्द से अभिप्राय किसी विशेष भूमि-खंड में रहने वाले निवासियों से है जबकि ‘राष्ट्र’ शब्द विशेष भूमि-खंड, उसमें रहने वाले निवासी  और उनकी संस्कृति का बोध कराता है। राजनीतिक दृष्टि से और भौगोलिक रूप से एक विशेष भूमि-खंड को‘देश’ की संज्ञा दी जाती है, किंतु इसका संबंध मानव समाज से नहीं है। ‘जाति’ से अभिप्राय उस मानव समुदाय से है जो सामाजिक विकासRead More


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