gandhi jayanti

 
 

चरखा है, चश्मा है, टोपी है, लाठी है मगर असहमति का विवेक कहीं खो गया है

पुष्यमित्र पिछले दिनों मैं सेवाग्राम गया था. वहां जाकर मन प्रसन्न हो गया. महाराष्ट्र के गांवों की पुराने जमाने की वे खपरैल झोपड़ियां आज भी उसी रूप में है, जिस रूप में तब थी जब गांधी जी वहां रहते थे. उनके द्वारा की जाने वाली सर्वधर्म प्राथना की परंपरा भी उसी तरह रोज आज भी जारी है. आश्रम में गांधी जी द्वारा इस्तेमाल की गयी चीजें भी हैं, इनमें वह हॉट लाइन भी है, जिसे वायसराय ने लगवाया था ताकि आकस्मिक स्थिति में गांधी जी से बातचीत की जा सके,Read More


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