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हां! मैं रामकृपाल, कभी था लालू का हनुमान

हां! मैं रामकृपाल, कभी था लालू का हनुमान! के. विश्वनाथ : कहते हैं कि भगवान् राम को 14 बरस का वनवास मिला था। मां कैकेई की वजह से। धर्म के ज्ञाता इस वनवास को अलग-अलग तरीके से परिभाषित करते हैं। भारतीय जनमानस उस परिभाषा में डूबता-उभरता रहता है। सदियों से यह कहानी हमारे समाज में प्रचलित है। राम के वन गमन के पीछे के अपने तर्क भी हैं। उन्होंने कइयों का संहार भी किया, तो कइयों का उद्धार भी। महानता की यही पहचान है। राम आए और चले गए, लेकिनRead More


नाश्पाती वाले बुद्ध और सौ बटा सौ

[हमारी शिक्षा और व्यवस्था, आलेख – 3] ——————— राजीव रंजन प्रसाद चीन में नाशपाती के फलों पर एक प्रयोग हुआ। भगवान बुद्ध की आकृति का सांचा बनाया गया और नन्हें फलों को वास्तविक आकार लेने से पहले, उनपर वह कस दिया गया। फल जैसे जैसे आकार-प्रकार में बड़ा होता गया उसकी, बाध्यता थी कि वह अपना विस्तार सांचे की परिधि के भीतर ही करे। फल की अपनी कोई इच्छा नहीं थी, उसकी कोई स्वतंत्रता नहीं, उसकी नियति तय थी कि बुद्ध की तरह दिखना है। सोचता हूँ कि क्या जैसाRead More


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