dhru gupta

 
 

‘हिंदी दिवस’ का कर्मकांड ?

ध्रुव गुप्त आज हिंदी दिवस है। हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रति अश्रु-विगलित भावुकता का दिन। हर सरकारी या गैर सरकारी मंच से हिंदी की प्रशस्तियां गाई जाएंगी, लेकिन जिन कमियों की वज़ह से हिंदी आजतक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना अपेक्षित गौरव हासिल नहीं कर पाई है, उनकी बात कोई नहीं करेगा। हिंदी कल भी भावनाओं की भाषा थी, आज भी भावनाओं की ही भाषा है ! आज के वैज्ञानिक और अर्थ-युग में किसी भी भाषा का सम्मान उसे बोलने वालों की संख्या और उसका साहित्य नहीं, विज्ञान कोRead More


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