#परसेप्शन वार की राजनीति में सच सबसे नाजुक दौर में

 
 

प्रेमचंद का साहित्य अनगिनत परिवारों में चूल्हा जलाता है

प्रेमचंद जयंती पर विशेष साधन सम्पन्न लोग प्रेमचंद की कहानियों पर धारावाहिक बनाते हैं और सत्ता से सम्मान पाते हैं, पर समाज में विवेक नहीं जगा पाते क्योंकि उनकी कथनी और करनी में फर्क है… मंजुल भारद्वाज, प्रसिद्ध रंगचिंतक प्रेमचंद जब अपनी लेखनी से गुलाम जनता में आज़ादी का मानस जगा रहे थे तब कुबेर का खज़ाना उनके पास नहीं था सत्ता की दी हुई जागीरदारी नहीं थी। यह तथ्य बताता है की साहित्य रचने के लिए धन की नहीं प्रतिभा,प्रतिबद्धता और दृष्टि की जरूरत होती है! जब आपके चारोंRead More


परसेप्शन वार की राजनीति में सच सबसे नाजुक दौर में

पुष्यमित्र रवीश भले कहते रहें टीवी कम देखीये, मगर गांव आकर पता चल रहा है, टीवी वाले अपना काम बखूबी कर चुके हैं। यहां सबको मालूम है कि प्रधान मंत्री मोदी ने पकिस्तान को धूल चटा दी है। पकिस्तान ने उनके दहशत में आकर अभिनंदन को छोड़ा है। पूरी दुनिया में मोदी जी की तूती बोल रही है। और तो और पटना की संकल्प रैली में ऐसी भीड़ उमड़ी थी जैसी कई वर्षों में नहीं उमड़ी। अगर आप इन बातों पर असहमति जताते हैं तो जाहिर सी बात है आपRead More


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