गांव के चौपाल पर अब एक दूसरे की शिकायत होती है : पंकेज त्रिपाठी

संवाददाता. बिहार कथा.  गोपालगंज.  बॉलीवुड के जाने-माने चरित्र अभिनेता पंकज त्रिपाठी इस बात को लेकर दुखी है कि आज के दौर में गांव के बच्चों में पढ़ाई की जगह मोबाइल फोन हावी हो गया है। पंकज त्रिपाठी ने  कहा कि अब गांवों में पढ़ाई का माहौल नहीं रह गया है। पढ़ाई की जगह अब मोबाईल के माहौल में युवा एवं बच्चे डूबे नजर आ रहे है। यह सोचने के लिए मजबूर हो जाना पड़ रहा है कि इसी गांव के माहौल से मेरे जैसे कलाकार निकले हुए है। उन्होंने कहा कि समाज में दहेज विरोधी जागरूकता लाने की आवश्यकता है क्योंकि दहेज लेना और देना दोनों अपराध के श्रेणी में आ चुका है। मैंने माता पिता के अनुमति से ही बिना दहेज के शादी की। मेरे परिवार के हर सदस्य दहेज प्रणाली के विरोधी रहे और अबभी है। यदि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दहेज विरोधी अलख जगाने का काम किया है तो वह सराहनीय है। अभिनेता ने कहा कि माता-पिता का सेवा ही सर्वोपरी है। बरौली प्रखण्ड के बेलसड गांव में ही मेरे माता पिता रहते है। सिनेमा में व्यस्त रहने के बाद भी प्रत्येक तीन माह पर अपने पैतृक गांव दौरा कर लेता हूँ। गांव के माहौल में काफी हंसी का जिंदगी जीने का मौका मिलता है लेकिन इस समय यह भी परिवर्तित हो गया है। क्योंकि गांव के चैपाल में अब एक दूसरे की शिकायत सुनने को मिलने लगी है।






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