सीवान : पानी के लिए तरस रहे हैं नहर के कगरी वाले खेत

सीवान. किसानों के खेती बाड़ी की लाइफलाइन कही जाने वाली नहरों को जीवनदान की जरूरत है। सफाई के अभाव में अनुमंडल के गांवों से गुजरने वाली नहरें नाले में तब्दील हो रही हैं। इन नहरों की समय से सफाई नहीं होती है जिसके कारण पानी की तेज धार की रफ्तार नहीं बन पाती है। परिणाम यह है कि नहर किनारे खेत रहने के बावजूद किसानों को सिचाईं के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है।
इस इलाके के विभागीय सूत्र बताते हैं कि सरकार नहर की पुनर्स्थापना का कार्य करवा रही है। पिछले दस साल से नहरों की सफाई नहीं हुई है। जिसके कारण समस्याएं उत्पन्न हो रही है। बदहाली का आलम यह है कि सफाई नहीं होने और गाद भर जाने के चलते नहरें अपने वास्तविक आकार में भी नहीं है। इसके अलावा कीचड़ भर जाने से नहर की गहराई और चौड़ाई में भारी अंतर आ गया है।
गाद की समस्या से जूझती इन नहरों में पानी छोड़े जाने पर आए दिन दरार आ जा रही है। पिछले खरीफ के मौसम में मुख्यालय से होकर बहने वाली नहर में जब-जब पानी छोड़ा गया दरारे आ गई। जिससे फसल व पानी का भारी नुकसान हुआ है।
इन समस्याओं के चलते आगामी गेहूं के मौसम में भी नहर से खेतों को समुचित पानी मिलने पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। नहर के किनारे रहकर भी हजारों किसान समय से पानी के लिए तरसते हैं। उन्हें पम्पसेट का सहारा लेना पड़ता है। साधनविहीन किसान महंगे दरों पर पानी खरीदने को विवश हैं।
मुख्यालय होकर गुजरती हैं दो नहरें
खेतों में पानी पहुंचने में परेशानी की बात करें तो दो नहर मुख्यालय होकर गुजरती हैं। पहली छपरा शाखा नहर और दूसरी महाराजगंज उप शाखा नहर। समय से सफाई नहीं होने से क्षमता से आधा पानी छोड़े जाने पर भी इसमें दरारें आने लगती है। छपरा शाखा नहर साढ़े तीस किलोमीटर लंबी है। वहीं दूसरी महाराजगंज उपशाखा नहर 16 किलोमीटर लंबी है। छपरा शाखा नहर में 1635 क्यूसेक और महाराजगंज उपशाखा नहर में 9 सौ क्यूसेक पानी की क्षमता है।
साल में दो बार पानी छोड़ने का नियम
इन नहरों में साल में दो बार पानी छोड़ा जाता है। खरीफ फसल के लिए 25 जून से पानी छोड़ा जाता है जो 25 अक्टूबर तक चलता है। गेहूं के लिए 25 दिसंबर से नहर में पानी छोड़ा जाता है जो 25 मार्च तक चलता है। लेकिन, नहरों में जमा गाद के चलते कम ही ऐसा मौके मिलता है जब खेतों को भरपूर पानी मिलता हो। गाद से नहरें भर गई हैं जिससे उनके तेज बहाव और पानी रखने में कमी आई है। साभार : हिन्दुस्तान






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