Monday, November 30th, 2015

 

पटना हाईकोर्ट में अधिकांश सवर्ण जज ही क्यों?

आजादी के साढे छह दशक से अधिक समय बीतने के बाद भी सवर्ण तबके का प्रभुत्व उनकी मुट्ठी भर आबादी के बावजूद बरकरार है। विधायिका में उनका वर्चस्व दलितों व पिछड़ों में आयी राजनीतिक जागरुकता के कारण घटा है। वहीं कार्यपालिका में बाबा साहब व मंडल साहब के कारण दलितों व पिछड़ों की हिस्सेदारी बढी है। हालांकि स्थिति अब भी संतोषजनक नहीं है। लेकिन न्यायपालिका इन सबसे अलग है। आज भी न्यापालिका में दलितों और पिछड़ों के लिए कोई जगह नहीं है। पटना हाईकोर्ट के जज और उनकी जाति सवर्णोंRead More


बिहार से जुड़े हैं पाकिस्तानी जासूस के तार!

आरा/अगिआंव(भोजपुर)। यूपी के मेरठ में गिरफ्तार आईएसआई एजेंट का तार भोजपुर जिला से भी जुड़ा है। एजाज उर्फ कलाम नामक एजेंट की शादी जिले के अजीमाबाद में हुई है। सूत्रों की मानें तो शादी के बाद वह कुछ दिन तक अपने ससुर शमशेर के घर ठहरा भी था। अजीमाबाद के कुछ लड़के भी उसके सम्पर्क में बताए जाते हैं। वहीं इसकी खबर मिलने पर घर के सभी सदस्य बाहर चले गए हैं। सोमवार को जब पत्रकारों की टीम पहुंची तो शमशेर का एक बेटा आमिर अपनी दुकान में बैठा था।Read More


बिहार दिखाता रहा है देश का राह

सरोज कुमार अब बिहार में चुनावी दौर को जनता ने बेहद शांति के साथ निपटा दिया है. कहा जा रहा है कि उसने वैमनस्य की सियासत की जगह सद्भाव और विकास पर अपना मत जाहिर किया है. तो क्या हमें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत है? अतीत अगर गौरवशाली रहा हो तो क्यों नहीं? आज से करीब 2,700 साल पहले जब दुनिया का लोकतंत्र से साबका भी नहीं पड़ा था, बिहार के वैशाली में इसकी नींव रखी जा रही थी. ईसा पूर्व छठी सदी में वैशाली में लिच्छवियों के संघRead More


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