अवतार से अलग हैं गांधी जी के राम : संजय स्वदेश

शहादत दिवस पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि
हथुआ के गांधी आश्रम में गांधी के राम विषय पर परिचर्चा
हथुआ (गोपालगंज). राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 75वीं शहादत दिवस के मौके पर हथुआ स्थित गांधी आश्रम में उनकी प्रतिमा को माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर जनजागरण संघ की ओर से ‘गांधी के राम’ विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई. जनजागरण संघ के संयोजक संजय स्वदेश ने कहा कि गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे. अहिंसा का मार्ग कठीन साधना का मार्ग है. उनकी यह साधना राम और श्रीमद्भागवत से बल पाती है. संजय ने कहा कि महात्मा गांधी के राम कोई अवतार पुरुष नहीं हैं. वह हर इंसन के अंदर है. गांधी जी का कहना था कि हम जिस राम को गाते हैं, वह न ही वाल्मीकि के राम हैं, न ही तुलसी के राम हैं – हालांकि रामायण मुझे बहुत प्रिय है, और मैं उसे बहुत ही शानदार ग्रन्थ मानता हूँ.
संजय स्वदेश ने कहा कि महात्मा गांधी ने अपने राम को खुद व्याख्यायित किया है. गांधी जी के अनुसार आज हम जिस राम का नाम दोहराते हैं, वह वह राम नहीं हैं. अगर आज कोई कष्ट में है तो मैं उसे राम नाम दोहराने के लिए कहूँगा, और कोई सो नहीं पा रहा है तो मैं उसे राम नाम दोहराने के लिए कहूँगा, परन्तु वह राम दशरथ के पुत्र या सीता के पति नहीं हैं. हकीकत में वह देहधारी राम नहीं हैं. गांधी जी का मानना था कि देहधारी राम कैसे किसी व्यक्ति के हृदय में रह सकते हैं. दिल एक अंगूठे से भी छोटा है और राम जो सबके दिल में निवास करते हैं, उनकी देह नहीं हो सकती है. गांधी के राम अजन्मे हैं, वह तो जगत के स्वामी हैं. गांधी जी मानना था कि हमें केवल उस राम को स्मरण करना चाहिए जो हमारी कल्पना के राम हैं, न कि और की कल्पना के.
इस मौके पर सचिन सिंह, राधाकांत तिवारी, रामविचार राम, बीरबल प्रसाद, अशोक महतो, सुभाष सिंह समेत अनेक लोग उपस्थित थे.
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