अपराधियों के निशाने पर हैं ओबीसी के प्रभावशाली लोग

गोपालगंज में ओबीसी के प्रभावशाली लोगों के मर्डर के खिलाफ हथुआ में परिचर्चा 

संवाददाता. बिहार कथा, हथुआ. गोपालगंज में ओबीसी समाज के प्रभावशाली लोगों की एक के बाद बाद एक हो रही हत्याओं के खिलाफ हथुआ के गोपालमंदिर परिसर में एक परिचर्चा आयोजित की गई. ओबीसी जनजागरण संघ और समाजिक न्याय मंच की ओर से आयोजित इस परिचर्चा में ओबीसी, एससी और अल्पसंख्यक समाज के युवाओं ने हिस्सा लिया. संघ के संयोजक संजय कुमार ने कहा कि बीते एक साल में ओबीसी के तीन प्रभावशाली लोगों का खुलेआम गोलीमार कर मर्डर किया गया है. ताजा मामला भोरे के रामाश्रय सिंह कुशवाहा का है. इससे पहले मटिहानी नैन पंचायत के मुखिया पति उपेन्द्र शर्मा की गोली मार कर हत्या हुई थी. बलेसरा के मुखया महातम यादव के उनके बेटे के साथ गोलियों से भून दिया गया था. संजय कुमार ने कहा कि अपनी मेहनत दम पर समाज में अपनी जगह बनाने वाले ओबीसी के लोग तुरंत ही सामंती प्रवृति के लोगों के टारगेट पर आ जाते हैं. उन्हें यह बात हजम नहीं होती है कि कैसे कोई पिछडा आगे बढ रहा है.
सामाजिक कार्यकर्ता जेपी यादव ने कहा कि रामाश्रय सिंह जैसे लोगों की हत्याएं इसलिए हो रही हैं, क्योंकि वे समाज के सामंती ताकतों से दबते नहीं हैं. उन्होंने अपनी मेहनत से धन कमा कर दबे कुचले पिछडे समाज में भी साहस भरने का कार्य किया. इसलिए उनके खिलाफ हत्या का षडयंत्र रचा गया. नब्बे के दशक से पहले हालात ऐसे थे कि ऐसे लोगों को डरा धमका कर समाज में रखा जाता था. लेकिन अब लोग डरते नहीं हैं. इसलिए गोली खाते हैं.
रामएकबाल यादव ने कहा कि भोरे के रामाश्रय सिंह के मर्डर कांड में जो एफआईआर हुई हैं, उसमें नामजद 9 लोग अपर कास्ट से संबंधित हैं. यह क्या संकेत करता है. मर्डर होता है दोपहर दो बजे के करीब और डीएम मौके पर पहुंचते हैं रात को दस बजे. यहां तक के जिले के डीएम ने मंत्री रामसेवक सिंह को भी घटनास्थाल पर जाने से मना कर देते हैं. डीएम ने 48 घंटे में आरोपी को गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया था. लेकिन आज तीन दिन बाद भी आरोपी प्रशासन के गिरफ्त से बाहर हैं.
समाजिक न्याय मंच के शशिभूषण भारती ने कहा कि हमें यह सोचना होगा कि समाज में शोषण कौन है और शोषण करने वाली जातियां कौन हैं. ओबीसी के लोग जो अपनी शिक्षा पाकर मेहनत से दम पर समाज में अपनी जगह बना रहे हैं, यह समाज के ही एक खास वर्ग को खल रहा है. यह एक तरह की मानसिक बीमारी है. आज आधुनिक और हाईटेक युग में किसी को जाति के आधार पर टारगेट किया जा रहा है, यह गृहयुद्ध के संकेत हैं. यह मजबूत राष्ट्र के लिए अच्छी बात नहीं है. सफी आलाम ने कहा कि यदि दलित पिछडे और अल्पसंख्यक समाज के लोग मुखर नहीं हुए तो कल किसी और का मर्डर होगा. परिचर्चा में विशाल, इमरान, आलोक सिंह, धमेंद्र कुमार, सुयंत खरबार, ज्योतिष भगत, दीपक कुमार गोंड, विशाली सिंह, रवि यादव ने भी अपने विचार रखे.






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