शर्मनाक! बिहार के स्वास्थ मंत्री मंगल पांडे के प्रभार वाले जिले में एक अस्पताल ऐसा भी
15 बेड के इस अस्पताल में न ड्रेसर हैं न कंपाउंडर
विजयीपुर/गोपालगंज। इस अस्पताल की भव्य इमारत दूर से ही सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लेती है। लेकिन भव्य इमारत के बावजूद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र विजयीपुर की दशा दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। 15 बेड के इस अस्पताल में न तो ड्रेस हैं और ना ही एक भी कंपाउंडर है। इस अस्पताल में चिकित्सकों की भी भारी कमी है। ऐसे में यहां आने वाले मरीजों को इलाज के लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। अब तो मरीज इस अस्पताल में आने की जगह सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में अपना इलाज कराना बेहतर समझते हैं। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. हरेंद्र का कहना है कि इस अस्पताल में कर्मियों की काफी कमी है। जो संसाधन उपलब्ध हैं उनसे मरीजों की बेहतर से बेहतर इलाज करने का प्रयास किया जाता है। कर्मियों की कमी को लेकर वरीय पदाधिकारियों को लिखित रूप से कई बार सूचना दी जा चुकी है।
प्रखंड मुख्यालय विजयीपुर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड कर स्वास्थ्य विभाग ने इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा दे दिया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनने के साथ ही यहां भव्य इमारत भी बनाई गई। लेकिन इस अस्पताल में न तो चिकित्सकों की संख्या बढ़ाई गई और ना ही स्वास्थ्य कर्मियों की। ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों तथा चिकित्सकों की कमी से इस अस्पताल की व्यवस्था यहां आने वाले मरीजों पर भारी पड़ रही है। आंकड़े ही बताते हैं कि इस अस्पताल में सात स्थाई चिकित्सकों का पद स्वीकृत है। लेकिन यहां तीन संविदा चिकित्सक तथा एक चिकित्सा प्रभारी सहित कुल चार चिकित्सक ही हैं। ड्रेसर, कंपाउंडर तथा फार्मासिस्ट का भी एक-एक पद स्वीकृत है। लेकिन इस अस्पताल में न ड्रेसर हैं ना ही कंपाउडर और न फार्मासिस्ट। दवा वितरण से लेकर अस्पताल में रखरखाव के लिए मात्र एक फेमली प्ला¨नग वर्कर है। साफ सफाई की जगह इस अस्पताल परिसर में गंदगी का अम्बार लगा रहता है। यहां साफ सफाई के लिए एक भी स्वीपर नही हैं । इस अस्पताल सहित पूरे प्रखंड क्षेत्र में स्थित स्वास्थ्य उप केंद्र के लिए एएनएम के 30 पद स्वीकृत हैं। लेकिन एक दर्जन एएनएम की तैनात हैं। ये सभी एएनएम संविदा पर नियुक्त हैं तथा समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर बीते तीन नवंबर से हड़ताल पर हैं। जिससे नियमित टीकाकरण का काम भी ठप पड़ा हुआ है।
अल्ट्रासाउंड की भी सुविधा नहीं
चिकित्सक तथा कर्मियों की कमी झेल रहे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अल्ट्रासाउंड की भी सुविधा नहीं है। हालांकि यहां एक्सरे मशीन है। टीबी मरीजों के लिए आरएनटीपीसी जांच की व्यवस्था भी है। इस अस्पताल में चाहरदीवारी भी नहीं बनाई गई है। जिससे पशुओं के लिए अस्पताल परिसर चारागाह बना हुआ है।
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