सीवान : दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने वाले पति को 10 साल की सजा

– सास एवं ससुर को सात-सात साल की सजा
– प्रत्येक पर 30 -30 हजार का आर्थिक दंड

सिवान :
अपर जिला न्यायाधीश चतुर्थ मनोज कुमार तिवारी की अदालत ने दहेज हत्या से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए बुधवार को दोषी तीन अभियुकत मृतका के पति, सास एवं ससुर को अपराध के प्रकृति के अनुरूप सजा सुनाई है। अदालत ने अपने ही पत्नी की हत्या के आरोप में दोषी पाकर पति मनोज सिंह को 10 साल की सजा एवं सास ज्ञानती देवी एवं ससुर वीर बहादुर सिंह को सात-सात साल की सश्रम कारावास की सजा दी है। अपर लोक अभियोजक रवींद्रनाथ शर्मा से मिली जानकारी के मुताबिक अदालत ने भादवि की धारा 304 बी के अंतर्गत दोषी पाते हुए मृतका के पति मनोज सिंह को 10 साल सश्रम कारावास की सजा एवं 10 हजार का आर्थिक दंड तथा भादवि की धारा 498 ए के तहत तीन साल की सजा तथा 10 हजार का आर्थिक दंड एवं दफा 201 के अंतर्गत तीन वर्ष की सजा और 10 हजार का आर्थिक दंड दिया है। इसी प्रकार अदालत में मृतका की सास ज्ञांती देवी एवं ससुर वीर बहादुर सिंह को 304बी के अंतर्गत सात-सात साल की सजा एवं 10 -10 हजार का आर्थिक दंड तथा भादवि की धारा 498-ए एवं 201 के अंतर्गत दोनों को तीन-तीन साल की सजा एवं 10-10 हजार का आर्थिक दंड दिया है।
ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। अर्थदंड नहीं देने की स्थिति में प्रत्येक को छह-छह माह अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एमएच नगर थाना अंतर्गत भीखपुर भगवानपुर गांव निवासी छबीला सिंह की पुत्री रिंकी देवी की शादी वर्ष 2007 में रघुनाथपुर थाना के पातर गांव निवासी मनोज सिंह के साथ हुई थी। ससुराल पहुंचते ही रिंकी देवी दहेज प्रताड़ना की शिकार हो गई और अंत में वर्ष 2011 में उसकी हत्या कर शव को नदी में डुबो दिया। सूचना मिलने पर रिंकी देवी के चाचा चंद्रमा सिंह ससुराल ग्राम पतार पहुंचे, तत्पश्चात सारी घटना से अवगत होकर रघुनाथपुर थाना में भतीजी की हत्या को लेकर दामाद मनोज सिंह,उसके माता-पिता ज्ञांती देवी, वीर बहादुर सिंह, देवर हृदयानंद सिंह तथा तीन ननदों के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस ने तत्काल छापामारी करते हुए मृतका की सास को उसके मायके से गिरफ्तार किया तथा शव को नदी से बरामद कर पोस्टमार्टम कराया। घटना के एक माह बाद पति मनोज सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया, तब से वह अब तक जेल में बंद है। मामले में सूचक की ओर से अधिवक्ता गणेश उपाध्याय ने तथा बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अरुण कुमार सिन्हा ने बहस की। घटना 10 अगस्त 11 की रात की है। ल11 अगस्त को रघुनाथपुर में प्राथमिकी दर्ज हुई थी






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