गोपालगंज : जिले के छह प्रखंड़ मे एक तरफ बाढ़

* दूसरी तरफ आठ प्रखंड़ मे सूख रही धान की फसल

गोपालगंज :—  जिले मुख्यालय से लेकर प्रखंड के हर गाव मे अगस्त माह में हुई जोरदार बारिश के कारण यह उम्मीद जगी थी कि इस साल धान की अच्छी पैदावार होगी। लेकिन अगस्त माह की बारिश के बाद आई भीषण बाढ़ से छह प्रखंड की हजारों एकड़ में लगी धान, गन्ना व सब्जी की फसल बर्बाद हो गई। इसी बीच 15 अगस्त के बाद काफी कम बारिश होने के कारण शेष आठ प्रखंड में सूखे की स्थिति पैदा हो गई है। लगातार बारिश नहीं होने के कारण बाढ़ के बाद शेष बचे इलाकों में सुखाड़ की स्थिति पैदा हो गई है। खेत में धान सूख रहे हैं और सिंचाई के तमाम सरकारी साधन बेकार पड़े हैं। ऐसे में अगर दो-चार दिन में बारिश नहीं हुई तो धान की फसल को बचाना मुश्किल हो जाएगाव।  गरीब किसानो को फसल के पैदावार के लेकर चिंतित है । अगस्त माह मे शुरुआत में बारिश ने धान व गन्ने की फसल को संजीवनी देने का कार्य किया। तीन दिन तक लगातार हुई जोरदार बारिश के कारण धान की पैदावार इस साल बेहतर होने की उम्मीदें किसानो मे जगी थी। लेकिन तभी बारिश के बाद गंडक नदी में आए उफान से सदर प्रखंड के अलावा कुचायकोट, बरौली, मांझा, सिधवलिया तथा बैकुंठपुर प्रखंड बाढ़ की चपेट में आ गए। इन प्रखंडों ने बाढ़ ने भीषण तबाही मचाई। बाढ़ की चपेट में आने से इन प्रखंडों में आठ लाख हेक्टेयर में लगी फसल को नुकसान पहुंचा है। एक तरफ बाढ़ की तबाही के बाद शेष बचे आठ प्रखंड में बारिश नहीं होने के कारण अब सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है। किसान सुखाड़ की स्थिति को देखकर बहुत चिंतित नजर आ रहे हैं। बारिश नहीं होने के कारण कई इलाकों में लोग अपने निजी पंपसेट से खेतों की सिंचाई के कार्य में लग गए हैं। बावजूद इसके किसानों का कहना है कि अगर बारिश नहीं हुई तो धान की फसल को बचाना मुश्किल हो जाएगा ।

* गरीब किसानो को दगा दे रही सरकारी नलकूप :—-

जिले के गरीब किसानो ने मानसून के सहारे धान रोपनी करने वाले किसान एक बार फिर से बारिश की आस में हैं। धान की रोपनी के बीच में मानसून ने किसानों का साथ छोड़ दिया तो सिंचाई के लिए बनी सरकारी व्यवस्था भी दगा दे रही है। जिले में लगे अधिकांश नलकूप बंद पड़े हैं। ऐसे में बारिश नहीं होने से धान की फसल सूखने लगी है। उन्हें बचाने के लिए किसान निजी पंप से सिंचाई करने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। ऐसा तब है जबकि जिले में सरकारी नलकूपों की भी व्यवस्था की गई है। लेकिन खेतों की सिंचाई के समय यह सरकारी व्यवस्थाएं किसानों को दगा दे रही है। विभागीय आंकड़े ही किसानों की परेशानी की कहानी खुद कह रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार राजकीय नलकूप विभाग ने जिले में 145 नलकूपों को लगाया है। इनमें से कुछ नलकूप तो आजतक चले ही नहीं हैं। विभाग के दावों को ही सच मानें तो जिले में 74 नलकूप इस समय विभिन्न कारणों से ठप पड़े हुए हैं। शेष 52 नलकूप चलायमान हैं। जो खेतों की सिंचाई के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

* नहरों की दशा दयनीय :—–

 किसानों को पानी की समस्या से नहीं जूझना पड़े, इसके लिए जिले में नहरों का जाल बिछाया गया है। लेकिन सिंचाई के समय नहर भी किसानों को दगा दे ही देती है। नहरों की बदहाल दशा की कहानी खुद विभागीय आंकड़े ही कहते हैं। आंकड़ों के अनुसार नहर प्रमंडल गोपालगंज 11742 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई करने का लक्ष्य मिला है। लेकिन नहरों से केवल 4745 हेक्टेयर खेतों की ही सिंचाई हो रही है। कुछ ऐसा ही हाल सारण नहर प्रमंडल भोरे का भी है। इसे 24123 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई का लक्ष्य मिला है। लेकिन इस प्रमंडल की नहरों से 11941 हेक्टेयर खेतों की सिंचाई ही हो पा रहा है ।






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