Friday, February 12th, 2016

 

जेल के अंदर गुलजार जिंदगी

बिहार में जेलें हमेशा से अजीबोगरीब हरकतों के लिए बदनाम रही हैं लेकिन इधर कुछ समय से हालात बदतर हुए हैं. कई आदतन अपराधी अब वारदात करने के बाद अदालतों में समर्पण करने पहुंच जाते हैं. इसका मतलब साफ तौर पर यह है कि उन्हें इधर-उधर भटकने की बजाए जेलें ज्यादा सुरक्षित लगती हैं. और हो भी क्यों न? जेलें सुरक्षित पनाहगाह तो हैं ही, समर्पण करने से उनकी संपत्ति की कुर्की भी नहीं होती और बाद में जमानत पाने में भी आसानी होती है. अमिताभ श्रीवास्तव यह वाकया जून,Read More


एक मामूली संत ने छेड़ा ऐसा अभियान, 500 लोगों ने छोड़ दिया दारू

अमन कुमार सिंह. छपरा। कुछ लोग जन्मजात ही संस्कार व कुछ कर दिखाने की जज्बा लेकर जन्म लेते हैं। उनके रग-रग में मानव की सेवा भावना वास करती है। उसी में जीना है उसी में मरना है। इन्हीं उदाहरणों में से एक हैं छपरा के संत रविन्द्र दास जी। गृहस्थ घर में जन्म लिए रविंद्र दुनिया के कई दरवाजों पर ठोकरे खाने के बाद संत कबीर दास के अनुयाई बन गए। उसके बाद उन्होंने समाज एवं नैतिकता के विकास के रास्ते का सबसे बड़ा बाधक बना नशा, दारू व मांसRead More


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