Sunday, September 20th, 2015

 

सियासी अखाड़े में बेटिकटों की भगदड़, गोपालगंज के हर विधानसभा में भतीरघात के आसार

बिहार कथा पटना/गोपालगंज। चुनावी जंग में कूदने से पहले राजनीतिक दलों का आंगन अखाड़ा बन गया है। हर तरफ घमासान मचा है। टिकट बंटवारे से नाराज दावेदार या तो दूसरे दरबाजे पर दस्तक दे रहे हैं या बगावत का बिगुल फूंक रहे हैं। टिकट कटने के बाद वर्तमान विधायकों ने पाला बदल शुरू कर दी है। राजनीतिक दलों में भगदड़ जैसे हालात हैं। पार्टियों के बड़े नेता टिकट के दावेदारों से मिलने से परहेज कर रहे हैं। उनके आवास और पार्टी दफ्तरों पर धरना-प्रदर्शन का दौर जारी है। टिकट कटनेRead More


बिहार में महादलित ही हैं तुरुप का पत्ता

  अमिताभ श्रीवास्तव | सौजन्‍य: इंडिया टुडे “बिहार को अपनी सरकार दो, जो है उसको गद्दी से उतार दो” इतवार की उमस भरी दोपहर थी. गया जिले के फतेहपुर हाइस्कूल में जीतनराम मांझी भाषण देकर पहली मंजिल के पोर्च में आए ही थे कि करीब सौ महिलाओं ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया. ये सभी राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में ठेके की कर्मचारी हैं और दलित परिवारों से हैं. सभी महिलाएं मांझी का नीतीश सरकार के खिलाफ वही नारा दोहराने लगीं कि बिहार को अपनी सरकार दो. ढोलक की धुनRead More


अपहरण कांड में डेढ़ साल से जेल में बंद थी लड़की, अब तीन महीने का गर्भ

मुजफ्फरपुर. करीब डेढ़ साल से शिवहर मंडल कारा में बंद महिला तीन माह की गर्भवती निकली है। शनिवार को शिवहर मंडल कारा से उसे मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल लाया गया। महिला बंदी ने खुद जेल प्रशासन को प्रेगनेंट होने की लिखित जानकारी दी। एहतियातन जेल प्रशासन ने प्रेगनेंसी टेस्ट सदर अस्पताल में कराया। वहां उसे गर्भवती बताया गया। जेल में रह रही महिला के गर्भवती होने से जेल व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है। पिछले साल शिवहर मंडल कारा के तत्कालीन अधीक्षक ने उसका कन्यादान करते हुए जेल में बंदRead More


बिहार की राजनीति में हाशिए पर ब्राह्मण! कहां से आए चाणक्य?

बिहार की आबादी प्रतिशत में काफी कम ब्राह्मण देश की अस्सी प्रतिशत जगहों पर कैसे बैठे हैं? विधानसभा में इनकी संख्या आबादी प्रतिशत से अधिक कैसे है ? इसे कैसे उखाड़ फेंका जाए? इसके कौन-कौन कारक हैं ? —————- सुभाष चंद्र/पटना बेशक पुराण-शास्त्रों और समाज में ब्राह्मण को विशिष्ट मान्यता दी गई है। हिंदुस्तान की राजनीति में भी इनका काफी वर्चस्व रहा, लेकिन नब्बे के दशक आते-आते इनकी शक्ति क्षीण होती गई और ए हाशिए पर धकेल दिए गए। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे हिंदी प्रदेशों में कभी सत्ता कीRead More


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